गौ माता का इतिहास
लगभग 5100 वर्ष पूर्व महाराजाधिराज श्रीकृष्णचन्द्रजी ने वैर भाव से भजने वाले जरासन्ध की कामना पूरी करने के उद्देश्य से मथुरा का त्याग किया था। अपने सहचर व परिकर सभी राजपुरूषों का निवास राजधानी में ही रखा गया था। परन्तु भगवान श्रीकृष्ण की प्राण स्वरूपा गायें व गोपालकों के लिए तो समुद्र के मध्य कोई स्थान नहीं था। ऐसी स्थिति में गायें तथा गोपालकों से भगवान दूर हो गये। अपने को निराश्रित मानकर भगवान श्रीकृष्ण जिस दिशा से पधारे थे उसी दिशा में गायें तथा गोपालक भी बड़ी दयनीय तथा दुःखी अवस्था में चल पड़े। कई दिन निराश्रित तथा वियोग की पीड़ा सहने के बाद भगवान श्रीकृष्ण के दर्शन गायों तथा गोपालकों के लिए एक महान केर तथा जाल के जंगलों में सामने आते हुए हुआ।
भगवान श्रीकृश्ण के दर्शन कर गाय व गोपालक इतने आनन्द विभोर हो गए कि उनकों रात दिन का भी ध्यान नहीं रहा। इसी प्रकार तीन दिन बीत गये, तब उद्धव जी ने उनको याद दिलाया कि गोवंश तथा गोपालकों की देख-रेख तथा सेवा कार्य अनिरूद्ध को ही सौंपा जावे। आपके अन्य धर्म कार्य अधूरे पड़े है, उनको गति प्रदान करने के लिए कृपया आप इस भावावस्था से उतरिये। तब भगवान श्रीकृष्ण ने कहा कि भैया इस पवित्र भूमि पर जब मैंने गायों व गोपालको को देखा तो ऐसे महान आनंद की अनुभूति हुई कि मुझे दिन रात का ध्यान ही नहीं रहा। ऐसा आनंद वृदांवन में भी प्राप्त नहीं हुआ था। वास्तव में यहाँ तो आनन्द ही आनन्द है। यह वन ही आनंद का है। यहाँ आनंद के अतिरिक्त दूसरा कुछ नही यह आनंदवन है। इस प्रकार इस भूमि का नाम आनंदवन पड़ा था। अब पुनः इस भूमि को आनंदवन नाम का सम्बोधन प्राप्त हुआ है। भगवान श्रीकृष्ण की आज्ञा अनुसार प्रधुम्न के पुत्र अनिरूद्ध ने आनंदवन को केन्द्र बनाकर, मारवाड़, काठीयाबाड़, थारपारकर अर्थात मेवाड़ से लेकर गिरनार तक सिन्धु नदी, सरस्वती नदी तथा बनास नदी के किनारे गोपालकों तथा गोवंश को लेकर विकेन्द्रित कर दिया, जहाँ विस्तृत चारागाह थे। हजारों कोसों में गोचर ही गोचर पड़ा था। गोपालकों ने इन नदियों के किनारे गोसंरक्षण,गोपालन एवं गोसंवर्धन का महान कार्य प्रारम्भ किया। सुरभि, नन्दिनी व कामधेनु की संतान पुनःभगवान श्रीकृष्ण का सानिध्य पाकर निर्भय व सन्तुष्ट हो गई। दोनों तरफ सिन्धु तथा बनास नदियों का प्रवाह, भूगर्भ में सरस्वती तथा पश्चिम में अथाह समुद्र, इसके बीच में सहस्रों योजन गोचर भूमि जहाँ सेवण, भुरट, कुरी, झेरण, भरकड़ी गाठीया आदि विपुल मात्रा में प्राकृतिक घास तथा गेहूँ, बाजरा, ज्वार, मक्का, जौ, मोठ, मूंग, मतीरा आदि की मौसमी पैदावार से गायों व गोपालक किसानों की सम्पूर्ण आवश्यकता सहज ही पूरी हो जाती थी। इन गायों में से भगवान श्रीकृष्ण एक लाख गायों का दान अन्य गोपालक राजा व ब्राह्मणों को दिया करते थे।
भगवान श्रीकृष्ण के इस धरा धरती से तिरोहित होने पर नाना प्रकार के प्राकृतिक उपद्रव हुए। वायु तथा अग्नि ने अपनी मर्यादा का त्याग कर दिया। परिणाम स्वरूप समुद्र के मध्य स्थापित द्वारकापुरी तथा सिन्धु व बनास के मध्य समुद्र के किनारे पर सम्पूर्ण गोचर जलमग्न हो गया। इसके बाद लगभग दो हजार वर्ष बाद पुनः इसी भूमि पर गोसंरक्षण, गोसंवर्धन का पुनीत कार्य श्रीकृष्ण के वंशज तथा ब्राह्मणों द्वारा प्रारम्भ हुआ। थार में भाटी व सोढ़ा राजपूतों ने मारवाड़ में राजपुरोहितों तथा चैधरियों ने और काठीयावाड़ में अहीर, भरवाड़, कच्छी तथा पटेलों सहित विभिन्न गोपालक किसानों ने प्रति परिवार हजारों लाखों की संख्या में गोसंरक्षण गोपालन व गोसंवर्धन के महत्वशाली कार्य को विराट रूप प्रदान किया।
मित्रो...गौ माता की करूँ पुकार सुनिए
गावो विश्वस्य मातरः
आज भारत वर्ष मे ही नहीं पूरे विश्व मे सभी मानव सुखी है पर जीव मात्र की माता कहलाने का अधिकार रखने वाली वेदों द्वारा पूज्यनीय, देवताओं को भी भोग और मोक्ष प्रदान करने की शक्ति रखने वाली गौ माता आज सड़कों पर मल, गन्दगी, प्लास्टिक खाने को मजबूर है |
भगवान श्री कृष्ण की कृपा से आज भी भारत वर्ष मे ही नहीं पूरे विश्व मे कुछ ऐसे पुण्यवान, भामाशाह और अपनी माँ के कोख को धन्य करने वाले गौ भक्त भी है, जिनके सहयोग से आज भी लाखो गौवंश गौशालाओं मे, किसानों के यहाँ, अपने घर पर ही सुरक्षित है | क्या ये गौभक्त, जिनकी वजह से पूरी सृष्टी का संतुलन बना हुआ है, आगे भी इसी प्रकार गौ - सेवा में संलग्न रह सकेंगे ?
शेष मानव जाति को जिनको परमात्मा ने सोचने के लिए बुद्धि दे रखी है का भी कर्तव्य बनता है कि इस गो संवर्धन को उठाने मे, इस राम सेतु को बनाने मे ग्वाल -बालो एवं गिलहरी की तरह थोडा - थोडा यथा योग्य योगदान दे | जब हम थोडा-थोडा योगदान देंगे तो हम सभी गौभक्तों के लिए कुछ भी दुर्लभ नहीं रहेगा |
शास्त्र कहता है --- गौ भक्त जिस-जिस वस्तु की इच्छा करता है वह सब उसे प्राप्त होती है | स्त्रियों मे भी जो गौओं की भक्त है, वे मनोवांछित कामनाएं प्राप्त कर लेती है | पुत्रार्थी पुत्र पाता है, कन्यार्थी कन्या, धनार्थी धन, धर्मार्थी धर्म, विद्यार्थी विद्या और सुखार्थी सुख पा जाता है | विश्व भर मे कही भी गौभक्त को कुछ भी दुर्लभ नहीं है | यहाँ तक की मोक्ष भी बिना गाय के पूंछ पकडे संभव नहीं | वैतरणी पर यमराज एवं उसके गण भयभीत होकर गाय के पूंछ पकडे जीव को प्रणाम करते है |
देवताओं और दानवो के द्वारा समुद्र मंथन के वक्त ५ गायें उत्पन्न हुई, इनका नाम था- नंदा, सुभद्रा, सुरभि, सुशीला और बहुला | ये सभी गायें भगवान की आज्ञा से देवताओं और दानवों ने महर्षि जमदग्नि, भारद्वाज, वशिष्ट, असित और गौतम मुनि को समर्पित कर दीं | आज जितने भी देशी गौवंश भारत एवं इतर देशो मे है, वह सब इन्ही ५ गौओं की संताने है और हमारे पूर्वजो एवं ऋषियों का यह महाधन है | क्या हम सिर्फ गोत्र बताने के लिए ही अपने ऋषियों की संताने हैं? उनकी सम्पति गौ धन को बचाना हमारा कर्तव्य नहीं |
आज भारत वर्ष मे ही करोड़ों लोग सुबह - शाम देवालयों मे माथा टेक कर भगवान से मनोकामनाएँ मांगते है, पर इन मे से लाखों लोगो को यह तक भी मालूम नहीं है की जिस देवता से वे याचना कर रहे है उन्हें कुछ भी दे देने की शक्ति तभी आएगी जब हवन द्वारा अग्नि के मुख से देवताओं तक शुद्ध गौ घृत पहुंचेगा | जब हम हवन में गाय के घी से मिश्रित चरू देवताओं को अर्पण करते है | उस उत्तम हविष्य से देवता बलिष्ट एवं पुष्ट होते है | जब देवता शक्तिशाली होगा तभी अपनी शक्ती के बल पर आपकी-हमारी मनोकामनाएं पूरी करने मे समर्थ होंगे | पर जब गौवंश ही नहीं रहेगा तो शुद्ध गौ घृत कहा से आएगा? और शुद्ध गौ घृत नहीं होगा तो हवन कहा से होगा? और हवन नहीं होंगे तो देवता पुष्ट कैसे होंगे? और देवता पुष्ट नहीं होंगे तो शक्तिहीन देवता मनोकामनाएं पूर्ण कैसे करेँगे ? आज हम लोग पेड़ लगा देते है पानी खाद नहीं डालेंगे तो फल कहा से लगेंगे? यह प्रकृति के नियम के विरुद्ध है |
आज जितने भी कथाएं होती है, यज्ञ, अनुष्टान होते हैं, जप-तप होते है उनमें नाम-जप का कुछ प्रभाव पड़ता हो पर अंत मे जो यज्ञ होता है वह सफल कितने होते है यह राम को ही मालूम | क्योंकि इन यज्ञों मे शुद्ध गौ घृत का उपयोग नहीं के बराबर होता है | आज भारत वर्ष मे पूर्व की अपेक्षा यज्ञ, धर्म, कर्म अधिक हो रहे है पर फल नहीं मिलता, यज्ञ सफल नहीं होते, क्या कारण है? इसके मूल मे यही है की जिस धरती पर गौ, ब्राहमण, साधू-संत, स्त्री दुखी होते है वहां पर पुण्य कर्म फल नहीं देते |
कुछ संतो ने, विद्वानों ने गौ माता के बारे मे इस तरह कहा है :-
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गौवंश की रक्षा मे देश की रक्षा समाई हुई है. --------- मदन मोहन मालवीयजी |
गौवंश की रक्षा इश्वर की सारी मूक सृष्टी की रक्षा करना है,भारत की सुख समृधि गौ के साथ जुडी है | --------महात्मा गाँधी जी |
समस्त गौ वंश की हत्या कानूनन बंद होनी चाहिए.अब भारत आजाद है |
----------- गौ प्राण करपात्रीजी महाराज |
गौ का समस्त जीवन देश हितार्थ समर्पित है,अतः भारत मे गौ वध नहीं होना चाहिए | ------------माता आनंदमयी जी माँ |
यही आस पूरण करो तुम हमारी, मिटे कष्ट गौअन, छूटे खेद भारी | -------------गुरु गोविन्द सिंहजी |
भारत मे गौवंश के प्रति करोडो लोगो की आस्था है, उनकी उपेक्षा नहीं की जानी चाहिए |
-------------लाल बहादुर शास्त्री |
सम्पूर्ण गौवंश परम उपकारी है | सबका कर्तव्य है तन, मन, धन लगाकर गौ हत्या पूर्ण रूप से बन्द करावे. ----------सेठ जुगल किशोर बिडला जी |
जब तक भारत की भूमि पर गौ रक्त गिरेगा तब तक देश सुख-शांति ,धन-धान्य, से वंचित रहेगा| ------------गौ प्राण हनुमान प्रसाद पोद्दारजी |
सम्पूर्ण गौ वंश हत्या बंद कर के राष्ट्र की उन्नति के लिए गौ को राष्ट्र पशु घोषित कर भारत सरकार यशजीवी बने |
-----गौ रक्षा हेतु ७३ दिन तक अन्न-जल त्याग देने वाले पूरी के शंकराचार्य स्वामी निरंजन देव तीर्थ जी महाराज |
राम मंदिर, राम सेतु, आदि मुद्दो से भी पहला मुद्दा गौ हत्या बंद कानून बनाने के लिए सरकार को बाध्य करना होना चाहिए |
------------धर्मवीर ठाकुर जयपाल सिंह नयाल
आप इस चित्र से समझ सकते हैं
और चित्र देखने के लिए कृप्या कर क्लिक करेें भारत देश के नाम के एक अपमान की जीती जागती चित्र (तस्बीर ) पर जाकर देखे !
जो मुझे आज डॉ.एम.पी.सिंह ने मेल किया है!
डॉ.एम.पी.सिंह जी को बधाई और धन्यवाद इनके सहयोग के लिए ।अधिक जानकारी के लिए देखंे वेबसाईट
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डॉ. मदन प्रताप सिंह ( आगरा)
Mob. No : 09219666141
E-mail : hamsinstituteagra@gmail.com
Website : hamsinstitute.com
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हर हर महादेव..........
अंत में :- आप सभी से एक बात कहना चाहुगा कि आप लोग भी ध्यान दे
PLEASE SAVE THE HOLY COW........
मित्रो...गौ माता की करूँ पुकार सुनिए और कम से कम 20 लोगो तक यह करूँ पुकार पहुँचाईए उन 20 लोगो को भी इस सन्देश को फॉर्वर्ड करने की अपील कीजिए आपका अपना मित्रा
जय गौमाता जय गोपाल।
"एक्टिवे लाइफ" ब्लॉग के फालोअर(समर्थक) बन कर अपना योगदान दें
और आप अपना सुझाव या मूल्यवान टिप्पणि दे ! और मेरा उत्साहवर्धन करें |
धन्यवाद....
आपका सवाई सिंह
समय मिले तो ये ब्लॉग जरूर देखें.
sawai singh Rajpurohit जी
जवाब देंहटाएंआपने यह लेख कितनी मेहनत से लिखा है इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है ...आपने अतीत और वर्तमान का जो विश्लेषण तथ्यपरक ढंग से किया है ..उसके लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं ...बहुत ध्यान से लेख पढने के बाद लगा कि आपकी हर बात बहुत गहरे तक प्रभावित करने वाली है इसमें कोई दो राय नही
...आप यूँ ही अनवरत रूप से लिखते रहें ...आपका बहुत बहुत आभार
आपने अतीत और वर्तमान का जो विश्लेषण तथ्यपरक ढंग से किया है| उस की जितनी भी तारीफ की जाए कम है| गौ माता की रक्षा के लिए हर एक को आगे आना चाहिए| बहुत बहुत आभार|
जवाब देंहटाएंaapne bahut achha likha hai
जवाब देंहटाएंmere pas sabd nhi hai kahne ko
..
bahut aabhar
..
सच में हमारे देश गायों की यह दशा अफसोसजनक है.... एक सार्थक और जागरूकता परक पोस्ट के लिए आभार .....
जवाब देंहटाएंsundar post, aise hi achchhi achchhi post likhte rahiye
जवाब देंहटाएंaabhaar
चित्र देख कर दिल काँप उठा !
जवाब देंहटाएंइतनी दयनीय स्थिति की कल्पना भी नहीं की जा सकती
एक सटीक और सकारात्मक सोच के साथ प्रस्तुत किया.....आपका बहुत बहुत आभार
जवाब देंहटाएंआदरणीय श्री केवल राम जी ,
जवाब देंहटाएंआपकी टिपण्णी से सहमत हूँ। इस लेख लिख ने में मेहनत की है इस का कारण है की गौ माता की रक्षा के लिए हर एक को आगे लाना चाहाता हु !
आपकी टिपण्णी मुझे प्रोत्साहित किया आपका बहुत बहुत आभार
श्री केवल रामजी
जवाब देंहटाएंPatali-The-Villageji
मिस दीप्ति शर्माजी
डॉ॰ मोनिका शर्माजी
श्री संजय कुमार चौरसियाजी
श्री ज्ञानचंद मर्मज्ञजी
बेनामी जी
आप सभी का ह्र्दय से बहुत बहुत आभार! धन्यवाद.....
गाय भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न अंग है
जवाब देंहटाएंप्राचीन काल से ही ऋषिमुनियों ने गाय को पूजनीय बताया है। ऐसा क्यों?
जवाब देंहटाएंगाय एकमात्र ऐसा प्राणी है जिसके मल मूत्र तक पवित्र हैं। गाय का दूध तो रोगों में उपयोगी है ही उसका मूत्र और गोबर भी अत्यंत उपयोगी है। जो हमारे स्वास्थ्य के लिए सर्वश्रेष्ठ है।
गाय के मूत्र में पोटेशियम, सोडियम,फास्फेट, यूरिया, यूरिक एसिड होता है।
दूध देते समय गाय के मूत्र में लेक्टोज की वृद्धि होती है। जो हृदय रोगों के लिए लाभकारी है।
गाय का दूध फैट रहित परंतु शक्तिशाली होता है उसे पीने से मोटापा नहीं बढ़ता तथा स्त्रियों के प्रदर रोग आदि में लाभ होता है। गाय के गोबर के कंडे से धुआं करने पर कीटाणु,मच्छर आदि भाग जाते हैं!
सवाई जी
जवाब देंहटाएंमुझे आशा है कि पुरे भारत के लोग हमारी धरोहर "गौ माता" की महत्ता को जानेंगे और गौ माता की महत्ता को संपूर्ण विश्व में प्रचारित-प्रसारित करेंगे |
आपका बहुत बहुत आभार............
पहले बधाई स्वीकार करे
जवाब देंहटाएंसवाई जी जो कारिय आप कर रहे है उसे गो माता की रक्षा जरुर हो सकती है लेकिन सर्कार को कुछ अहम कदम लेने चाहिए|जिसे गौ वध रोका जा सके |
जवाब देंहटाएंऔर गौ माता की करूँ पुकार सुन कर और चित्र देख कर मेरा दिल काँप उठा१
जवाब देंहटाएंगौ माता की रक्षा के लिए हर एक को आगे आना चाहिए|ऐसी आशा करती हु!
सवाई जी
जवाब देंहटाएंनमस्कार !
जो आप कर रहे है उसे गो माता की रक्षा जरुर हो सकती है गौ वध रोका जा सके |
आपका बहुत बहुत आभार...
कुछ दिनों से बाहर होने के कारण ब्लॉग पर नहीं आ सका
जवाब देंहटाएंमाफ़ी चाहता हूँ
अच्छी पहल की है आपने . बधाई स्वीकारें- अवनीश सिंह चौहान
जवाब देंहटाएंआदरणीय योगेन्द्र जी धन्यवाद
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
@ शालिनीजी धन्यवाद
धन्यवाद
@ संजय भास्कर जी
धन्यवाद
@ अब्निश सिंह जी
धन्यवाद
आप सभी का ह्र्दय से बहुत बहुत आभार.....
शालिनीजी आप ठीक कहती है सर्कार को कुछ अहम कदम लेने चाहिए
जवाब देंहटाएंयोगेन्द्र जी मुझे आशा है कि पुरे भारत के लोग हमारी धरोहर "गौ माता" की महत्ता को जानेंगे और गौ माता की महत्ता को संपूर्ण विश्व में प्रचारित-प्रसारित करेंगे एक दिन और ये दौलत कभी खत्म नही हो
जवाब देंहटाएंaapka lekh bahut sundar hai....aapki bhavnaye nirmal hai........chitra dekhne ki himmat nahi huee....
जवाब देंहटाएंsubh:kamnaye
गौ माता की करूँ पुकार सुन कर और चित्रा देखने की हिम्मत नही हुई....
जवाब देंहटाएंआपको वसंत पंचमी की ढेरों शुभकामनाएं!
जवाब देंहटाएंसवाई जी आगरा से बहार होने की वजह से ब्लॉग पर नहीं आ सका!
जवाब देंहटाएंसनातन धरम में में गाय को माता के सामान मन गया है ! भारत में शुरू से ही गाय ढूध उपार्जन का साधन रही है ! बालक अपनी मान के दूध पीने के पश्चात गाय का ही दूध पी के बड़े होते थे ! गाय के दूध में अन्य पशुओ के दूध के मुकाबले जयादा पोष्टिकता और पवित्रता पाई जाती है ! गाय से दूध, दही मक्खन तो मिलता ही है
जवाब देंहटाएंगाय का मूत्र और गोबर भी पर्याप्त उपयोगी है ! गाय के गोबर और मूत्र को ओषधिया बनाने में किया जाता है ! गाय प्राचीन काल से ही भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग रही है ! गाय , गीता , गंगा और गायत्री ये भारतीय संस्कृति के चार आधार बताये गए है !
उल्लेखनीय है कि गौमूत्र से दवाएं बनाई जा रही हैं। बाबा रामदेव का पतंलजि योगपीठ अभी 5 रुपये लीटर के हिसाब से गौमूत्र खरीद रहा है। वैज्ञानिक प्रयोगों से सिद्ध हो गया है कि गौ मूत्र में 2 मिनट में कीटों को मारने की क्षमता है इसे ध्यान में रखते हुए इससे फिनाइल बनाने का काम शुरू किया जा रहा है।
जवाब देंहटाएंकल है तेदीिवेय्र डे मुबारक हो आपको एक दिन पहले
जवाब देंहटाएं_____#####__________####_____
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Happy Teddy Vear Day
आपको हेप्पी वेलन्टाईन डे की हार्दिक शुभकामनायें ...स्वीकार करें
जवाब देंहटाएंमेरी नई पोस्ट पर आपका स्वागत है
जवाब देंहटाएं"हट जाओ वेलेण्टाइन डेे आ रहा है!".
श्री सञ्जय झाजी
जवाब देंहटाएंसोनुजी
हम्स्जी आप सभी का ह्र्दय से बहुत बहुत धन्यवाद और आभार.....
श्री hamsji आपने सही कहा हमारे सनातन धरम में में गाय को माता के सामान मन गया है!भारत में शुरू से ही गाय ढूध उपार्जन का साधन रही है! और ये भी सही है की गौमूत्र से दवाएं बनाई जा रही है!
जवाब देंहटाएंश्री hamsji
जवाब देंहटाएंयह हमें ही तय करना पड़ेगा की बिहारीजी की सच्ची सेवा क्या है! हम बिहारीजी के दर्शन के लिए वृन्दावन(मथुरा, उत्तर प्रदेश )तो जाते हैं पर जो गौ माता बिहारीजी को इतनी प्रिय है उसकी रक्षा के लिए आगे नहीं आते हम अब समय आया है हम सभी को गौमाता की रक्षा के लिए संगठित होना है"
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जवाब देंहटाएंगो रक्षा के लिए एक सार्थक एवं सामयिक आलेख है ये । आपने तो पहले ही बहुत विस्तार से लिखा है , बस एक बात जोड़ना चाहूंगी की लोग प्लास्टिक की थैलियों का इस्तेमाल ना करें । कचरे में पड़ी पन्नियाँ गाय के पेट में पहुँचती है और उनकी मृत्यु का कारण बन रही हैं।
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इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
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sahi hai
गो रक्षा के लिए एक सार्थक एवं सामयिक आलेख है
जवाब देंहटाएंएक सार्थक आलेख है
जवाब देंहटाएंमेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है
जवाब देंहटाएंआपकी पहल काबिले तारीफ है, शुभकामनाये
जवाब देंहटाएंअच्छा लिखा आपने ...बहुत दुःख बात है यह तो.....
जवाब देंहटाएंSawai singh jee, sach me aapka kayal ho gaya, itna mehnat...gau mata ke liye..sach me hamara bhi farj banta hai, ki isko kuchh logo tak pahuchayen............follow kar raha hoon.aage bhi aaunga..
जवाब देंहटाएंसवाई जी ,
जवाब देंहटाएंयह बहुत अच्छा विषय है! सरकार के आलावा लोगो को इस विषय पर गंभीर होकर सोचना चाहिए
भाई सवाई सिंह जी ,
जवाब देंहटाएं'गौ माता' पर आपका लेख बहुत ही विचारणीय एवं सार्थक पहल है | लेख में विचारों के साथ-साथ ह्रदय के पवित्र भाव भी समाहित हैं | आपका प्रयास अति प्रशंसनीय है |
गौमाता भारतीय संस्कृति की प्रतीक हैं । इनकी रक्षा की ओर आपका ध्यान आकर्षित करवाया जाना एक महत्वपूर्ण कदम है । आभार आपका इस सार्थक पहल के लिये...
जवाब देंहटाएंsunder aur gyanmayi prastuti , bahuta accha vislesan ............aap wakai k badhai ke patra hai
जवाब देंहटाएंbahut bahut badhai
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर वचन आपकी जितनी तारीफ करू उतनी कम है जी |
जवाब देंहटाएंआप मेरे ब्लॉग पे भी देखिये जीना लिंक में निचे दे रहा हु |
http://vangaydinesh.blogspot.com/
आपका लेख बहुत ही अच्छा है! धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंजय गौमाता जय गोपाल।
जवाब देंहटाएंगाय को काटने वालो को पकड़ पकड़ कर के काटना चाहिये.
जवाब देंहटाएंइन चित्रो को देखकर कितना खून खौल रहा है बता नही सकता.
लेकिन इतना बता सकता हूँ कि गाय की हत्या करने वालो को बहुत भयंकर कीमत चुकानी पड़ेगी. उनको भी ऐसे ही काटा जायेगा.
आदरणीय डॉ.दिव्याजी,
जवाब देंहटाएंनमस्कार
मैं आपकी बात से पूरी तहरे सहमत हूँ! आपका ह्र्दय से बहुत बहुत आभार...
अनिलजी आपका ह्र्दय से बहुत बहुत आभार...
जवाब देंहटाएंराजवीरजी आपका ह्र्दय से बहुत बहुत आभार...
दीपकजी आपका ह्र्दय से बहुत बहुत आभार...
चैतन्य शर्माजी आपका ह्र्दय से बहुत बहुत आभार...
मुकेश कुमार सिन्हा जी बहुत धनयवाद आपका आपकी टिप्पणी ही मेरे लिए प्रेरणास्रोत है
आदरणीय सुरेन्द्र सिंहजी
जवाब देंहटाएंसुशील बाकलीवालजी
अमरेन्द्र "अमर"जी
दिनेश पारीक जी
शक्ति सिंह जी
मेरे लेख की सराहना के लिए आप सभी का ह्र्दय से बहुत बहुत धन्यवाद और आभार.....
और आगे भी इसी प्रकार सहयोग देते रहिएगा आपका सवाई सिंह
श्री आक्षे ठाकुरजी
जवाब देंहटाएंसादर प्रणाम,
आपकी इस उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया को पाकर बेहद प्रसन्नता हुई|
हार्दिक धन्यवाद!
और आगे भी इसी प्रकार सहयोग देते रहिएगा आपका सवाई सिंह
www.govansh.in
जवाब देंहटाएं