बुधवार, जून 1

सिगरेट यह बला आई कहां से? क्या है इसके कानून?

सिगरेट कहां स आई ? 
सिगरेट बनाने की मशीन का विकास 1750 से 1800 ईस्वी के बीच हुआ। सिगरेट बनाने की पहली मशीन एक मिनट में लगभग 200 सिगरेट बनाती थी जबकि वर्तमान की मशीन एक मिनट में 9000 सिगरेट बना देती है। कम उत्पादन लागत और सिगरेट के उपयोग के विज्ञापनों ने तंबाकू कंपनियों के लिए इस दौरान मार्केट को मजबूत किया। धूम्रपान से होने वाली बीमारियों को देखते हुए किसी भी तंबाकू कंपनी के खिलाफ पहला केस बीसवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में लगाया गया था।

                         क्या है इसके कानून?

2003 का कानून ( 1 मई 2004 से प्रभावी)


2003 में भारत सरकार ने एक अधिनियम पारित किया था, जिसके तहत ये कहा था-

* कोई भी व्यक्ति सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान नहीं करेगा। इनमें सभागृह, भवनों, रेलवे स्टेशन, पुस्तकालय, अस्पताल, रेस्तरां, कोर्ट, स्कूल, कॉलेज आदि आते हैं।

* सार्वजनिक स्थलों पर भारतीय भाषाओं में बड़े अक्षरों में गैर-धूम्रपान क्षेत्र के बोर्ड लगाए जाएं।

* सिगरेट और तंबाकू उत्पादों का विज्ञापन नहीं किया जाएगा।

* तीस कमरों के होटल या तीस से अधिक लोगों के बैठने की रेस्तराँ में मालिक या मैनेजर ये तय करें कि धूम्रपान व गैर-धूम्रपान क्षेत्र अलग हों। लोगों को गैर-धूम्रपान क्षेत्र में जाने के लिए धूम्रपान वाले इलाके से न गुजरना पड़े।

* तंबाकू एवं अन्य तंबाकू उत्पाद- गुटखा, खैनी, जर्दा, तंबाकू वाले मसाले, बीड़ी, सिगरेट, हुक्का, चुरट, सिगार, नसवार 18 साल से कम के लोगों के लिए प्रतिबंधित है।

* समय-समय पर इन नियमों में सुधार किए जाते रहे हैं। जैसे आजकल सभी सार्वजनिक स्थलों पर धूम्रपान निषेध है। विडंबना यही है कि कानून से अधिक कानून तोड़ने वाले प्रभावी है। जब तक नियमों का सख्ती से पालन नहीं करवाया जाता इस समस्या से मुक्ति असंभव है।

18 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सार्थक और सुन्दर प्रस्तुति..

    जवाब देंहटाएं
  2. आप भी सादर आमंत्रित हैं
    एक्यूप्रेशर चिकित्सा पद्धति का परिचय
    ये मेरी पहली पोस्ट है
    उम्मीद है पसंद आयेंगी

    जवाब देंहटाएं
  3. इतनी विस्तृत जानकारी पहले कभी नहीं पढ़ी !

    जवाब देंहटाएं
  4. जाग्रति प्रेरक लेख!!

    साधुवाद!!

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सार्थक और सुन्दर प्रस्तुति| धन्यवाद|

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे

    जवाब देंहटाएं
  7. कानून तो है परंतु लोगों में जागृति और अच्छे नियमों का सम्मन करने की भावना जगाना भी ज़रूरी है। अच्छा आलेख, बधाई!

    जवाब देंहटाएं
  8. सवाई सिंह जी!
    हर काम सरकार के भरोसे क्यों छोड़ना चाहते हैं जबकि आप अच्छी तरह जानते हैं कि सिगरेट और शराब बनाने का लाइसेंस सरकार ही देती है और पुलिस तथा कानून के रखवाले भी सिगरेट पीते हैं, तंबाकू वला पान मुंह में भरे रहते हैं। आप तो बस जन जागरण करते रहें ऐसी ही पोस्ट लिख कर। जिसे खुद अपनी परवाह न हो (सिगरेट, शराब पीने वाले) उसके लिए आप क्यों परेशान होते हैं। सरकार तो सलमान खान को पकड़ कर यह तो साबित कर ही देती है कि वह सक्रिय है।

    जवाब देंहटाएं
  9. जीवनोपयोगी, जनहितकारी एवं जागृत करने वाली पोस्ट

    जवाब देंहटाएं
  10. बहुत बढ़िया लिखा है आपने! सुन्दर, सार्थक और प्रेरक लेख!

    जवाब देंहटाएं
  11. टिप्पणी देकर प्रोत्साहित करने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया!
    मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
    http://seawave-babli.blogspot.com/

    जवाब देंहटाएं
  12. आजकल सभी सार्वजनिक स्थलों पर धूम्रपान निषेध है। विडंबना यही है कि कानून से अधिक कानून तोड़ने वाले प्रभावी है। जब तक नियमों का सख्ती से पालन नहीं करवाया जाता इस समस्या से मुक्ति असंभव है।

    ... naammatra ka kanoon hai, sakhti karne wale khud hi iska sare aam ulaghan karna apni shan samjhte hai....
    bahut badi trasadi hai yah.. apne ankhon ke saamne logon ko iske kaaran cancer se marte dekha hai, par bidambana yah hai ki jis ghar mein yah sab hota hai unpar tab bhi koi fark nahi padta hai.....
    saarthak jaaguktabhari prastuti ke liye aabhar

    जवाब देंहटाएं
  13. आप सबका आभार यही मुझे उत्साहह प्रदान करेगा ...आपका शुक्रिया.

    जवाब देंहटाएं
  14. शुक्रवार को आपकी रचना "चर्चा-मंच" पर है ||
    आइये ----
    http://charchamanch.blogspot.com/

    जवाब देंहटाएं
  15. इस क़ानून को तोड़ने वाले पूरे विश्व में हैं ... अच्छी चर्चा है ...

    जवाब देंहटाएं