मित्रो,
काफी दिनों से कुछ नया नहीं लिख पा रहा हूँ, पर ऐसा नहीं की मैं आपको निराश करूँगा. बहुत जल्दी कुछ नया लेकर आहुगा
काफी दिनों से कुछ नया नहीं लिख पा रहा हूँ, पर ऐसा नहीं की मैं आपको निराश करूँगा. बहुत जल्दी कुछ नया लेकर आहुगा
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आओ, हम सब मिलकर गोमाता की
रक्षा करने का संकल्प ले...
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जमीन से लेकर आसमां तक निकलता गया आदमी,
जितना चढ़ा उतना ही फिसलता गया आदमी
कायनात छोटी पड़ गयी ..... ..के सामने
जितना मिला उतना ही निगलता गया आदमी
आप से अनुरोध है |
मै आप सभी ज्ञानी मित्रों से अपनी हर ख़ुशी जाहिर हुए मुझे बहुत ख़ुशी हो रही है ....
प्रभु कृपा से आपका दिन मंगलमय हो ...
खुशियों भरा और सार्थक हो ...
वन्देमातरम
जय हिंद जय भारत
सवाई सिंह राजपुरोहित (आगरा)
{सदस्य}
{सदस्य}
सुगना फाऊंडेशन मेघलासिया जोधपुर
www.rajpurohitsamaj-s.blogspot.in
www.rajpurohitsamaj-s.blogspot.in
बिलकुल सही ।
जवाब देंहटाएंनव जागरण जरुरी है -
आभार ।।
ऐसे ही अपना स्नेह बनाये रखें...
हटाएंअच्छी तरह से समझने की आवश्यकता है इन बातों को ...!
जवाब देंहटाएंआपका बहुत बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!
हटाएंबिलकुल सही ........आपकी बात से सहमत सवाई सिंह जी
जवाब देंहटाएंआपका बहुत बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!
हटाएंसही कहा. सवाई सिंह जी..... आपकी बात से सहमत हूँ...
जवाब देंहटाएंआपका बहुत बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!
हटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंसवाई भाई आप बहुत सार्थक और प्रशंसनीय कार्य कर रहे हैं।
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएं।
आपका बहुत बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!
हटाएंबहुत ही सार्थक सन्देश एवं अपील है। उम्मीद है लोग इस पर गौर करेंगे।
जवाब देंहटाएंसुंदर विचार.....
जवाब देंहटाएंआपका बहुत बहुत शुक्रिया
हटाएंआपको भी बैसाखी के पर्व पर हार्दिक शुभकामनाएं.....
जवाब देंहटाएंbahut badhiya
जवाब देंहटाएंआपका बहुत बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!
हटाएंगौ ह्त्या के समर्थक हम भी नहीं है भैया पर उसके लिए तलवार का प्रतीक मायावती के नारों जैसा ही है सांप्रदायिक सौमनस्य के लिए भला नहीं है .आपने खुद ही तो कहा है शारीरिक कष्ट से आगे है किसी का दिल दुखाना भले गौ हमारी संस्कृति कृषि कर्म से जुडा एक प्रतीक है .भाषा की भंगिमा अपना सकारात्मक असर छोडती है .
जवाब देंहटाएंआदरणीय श्री वीरुभई जी,
हटाएंसादर नमस्कार ! सही कहते हैं आप !"तलवार का प्रतीक मायावती के नारों जैसा ही है सांप्रदायिक सौमनस्य के लिए भला नहीं है" और आगे इस बात का ध्यान रकुगा आपका आभार इस पोस्ट पर अपनी राय दी हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!
आपकी की बात से पूरी तरह से सहमत हूँ.
जवाब देंहटाएंबहुत ही सार्थक सन्देश
जवाब देंहटाएंआपका बहुत बहुत शुक्रिया
हटाएंआपका बहुत बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,
हटाएंबहुत बड़ा, महत्वपूर्ण और सार्थक कार्य कर रहे!
जवाब देंहटाएंआपका बहुत बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,
हटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर विचार।...बहुत बढ़िया प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआपका बहुत बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!
हटाएंआपका बहुत बहुत शुक्रिया
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंशेयर करने के लिये बहुत बहुत आभार,
जवाब देंहटाएंआशीष कुमार प्यासी मो-+918319220533
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