शुक्रवार, मार्च 10

स्वावलंबन जमीनीस्तर की सच्चाई इस घटना से कुछ लोगों को सबक लेना चाहिए

मुझे आज ऑटो रिक्शा में सफर करने का मौक़ा मिला जब मैं ऑटो में बैठा तो देखा कि ड्राइवर की गोद में एक छोटी लड़की है तो मैं समझा कि शायद बच्ची ने आज जिद की होगी कि अब्बु में भी साथ जाऊँगी या फिर उसे चलने से पहले उतार देगा मगर जब रिक्शा चला तो देखा कि वह बच्ची एक्सिलीटर दे रही है और इसका अबू दूसरी तरफ  पकड़कर उसे कह रहा है। रास्ते में सब कुछ देखता रहा और सुनता रहा जब मंजिल पर पहुंचे तो उसे किराया देने के बाद पूछा तो उस पर रिक्शा चालक ने मुझे बताया कि मैं इक हाथ से विकलांग(माजुर) हूँ इसलिए हम दोनों मिलकर रिक्शा चलाते हैं मुझे यह गवारा नहीं कि मेरी बेटी किसी के घर में सफाई करे और मे भिखारी बनूँ बच्ची को शिक्षा भी दिलवा रहा हूँ और घर  भी चल रहा है और खुदा का शुक्र अदा करता हूँ ख़ुशहाल जीवन गुजार रहा हूँ। यह सब जानकर बहुत खुशी हुई और साथ दिल में खुदा का खोफ भी पैदा हुआ कि हम तंदुरुस्त होने के बावजूदं खुदा का इतना शुक्र अदा नही करते जितना यह माजुर कर रहा है।

इस घटना से कुछ लोगों को सबक लेना चाहिए। और शर्म से डूब मरने का स्थान है उन लोगों के लिए जो इसको धंधा बनाया हुआ हे।जो माजुर का इस्तेमाल करते हैं भीख मंगवाने के लिए।और जो जानबूझकर माजुर बने हुए हे।आखीर खुदा की अदालत में भी पेश होना है।

यह पोस्ट फेसबुक/ WhatsApp की एकमात्र ऐसी पोस्ट स्वावलंबन+जमीनी स्तर की सच्चाई का सबसे बड़ा उदाहरण है ।
            


3 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (12-03-2017) को
    "आओजम कर खेलें होली" (चर्चा अंक-2604)
    पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक

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