गाय के मुँह में किसी ने बम रख दिया । मुँह के चीथड़े उड़ गये । खाने में असमर्थ गाय 3 दिन तक कष्ट और भूख से तड़पकर मर गयी। छोटा बछड़ा भी अनाथ हो गया।
अरे सुबह चाय की चुसकियों में मिला गाय का दूध तो याद कर लेते। माता के न होने पर भी गाय ने सभी मनुष्यों को दूध दही घी द्वारा बचपन से लेकर बुढ़ापे तक पालन किया इसलिए उसे भी माता कहा गया।
10 दिसम्बर 2017 को अहमद पुर चौराहा विदिशा पर गाय को खाने मे सूअर मारने का बम खिला दिया जिससे गाय का पूरा मुँह घायल हो गया।गौपुत्रो ने इलाज तो किया लेकिन अत्यधिक मांस कट जाने से बचना सम्भव न था। ।कंजड़ों और गुंडों द्वारा आये दिन चौराहा पर मार पीट और लूटा मरी की जा रही है।इस सब की शिकायत विदिशा पुलिस प्रसाशन और विदिशा नगर पालिका प्रसाशन को की गयी थी । पर उन्होंने इन सब पर कोई कार्यवाही नही की। और इस कारण आज ये सब हादसा हुआ।
ये दृश्य तो हम देख नही पा रहे लेकिन इसके अलावा कत्लखानो में भी किस तरह कई दिन तक भूखा रखने के बाद जीवित गाय पर खौलता हुआ पानी डालकर बेल्टो से पीटा जाता है चमड़े के लिए जो हम use करते हैं।यदि थोड़ी भी संवेदना है तो सभी को संकल्प लेना चाहिए चमड़े की वस्तुएं नही खरीदेगे।
ये है हमारा हिंदुस्तान जहाँ बहुसंख्यक हिन्दुओ के होते हुए भी निर्दयता पूर्वक करोड़ो गाय मौत के घाट उतार दी जाती हैं । गौमाता की आत्मा तक बिलख रही होगी हमारे कैसे पुत्र हैं?
तमाम नेता, मीडिया,सेक्युलर वादी कहा गये जो गौरक्षकों को हिंसक कहके करवायी की बात करते थे । खुद pm मोदी गौरक्षकों के खिलाफ जहर उगला था। जब ऐसी दरिंदगी गौरक्षकों के सामने होगी तो हिंसक होना स्वाभाविक है। कहने का तात्पर्य चाहे बीजेपी हो या कांग्रेस गाय के मुद्दे पर सब गड्डार थे है और रहंगे ,जब तक इनमे डर पैदा न किया । और डर पैदा करने के लिए हिंसक व् अहिंसक दोनों प्रकार से आंदोलन करना होगा।नेताओ की छाती पर चढ़कर लात मारनी होगी तो अपने आप होश ठिकाने आ जाएँगे बस जरूरत है एकजुटता की ।
भारत वर्ष में लाखों करोड़ो प्रकार के कार्यक्रम , रैलियां,भाषण,विरोध,आंदोलन आदि होते रहते है लेकिन गाय के कुछ नही होता क्यों?
मंदिरों ,दुर्गा उत्सवों, गणेश उत्सवों,भागवत कथाओं, आरतियों , ज्योतिर्लिंगों और तीर्थो में करोडो की संख्या में इक्कठे होते है अरबो रूपये खर्च करते है। दान करते हैं।और अपने जीवन का अधिक से अधिक समय और परिश्रम देते है ।लेकिन गाय के लिए जरा भी समय नही ।बीमार गाय सड़क पर दिख जाए तो कोई नही रुकता ।
क्या सिर्फ कथा सुनना ,कर्मकांड करना भोग लगाना,और प्रसाद खा लेना ही धर्म है या जो उसमे लिखा है उसका अनुसरण करना धर्म है? क्या गौरक्षा हेतु हथियार उठना धर्म नही है।
यदि कही गौमाता सड़क पर बीमार पड़ी मिल जाये तो कोई गाड़ी से नीचे इलाज करवाने नही उतरता । बड़े बड़े धनाढ्य लोग जेब सिकोड़ते है । हम बहुत सा पैसा मंदिर प्रसाद ,गुटखा,मुफ्त के दोस्तों में यूँ ही खर्च कर देते हैं लेकिन गाय के लिए महीने में 50 रूपये भी नही लगाते ।सारा ठेका क्या गौसंगठनो ने ले रखा है।
वही दूसरी ओर ऐसे लोग जो हिन्दू देवताओ की पूजा तो करते है लेकिन घोर ठंड में गायों को रात्रि भर दुर्घटना होने एवं ठिठुरने के लिए छोड़ देते है। डूब मरो सालो।
ऐसे हिन्दुओ को चुन चुन के समझाना और न मानने पर सामदामदंडभेद द्वारा सही रास्ते पर लाना हमारा ही काम है। यदि वे नही मानते तो मुस्लिम गौहत्यारो की तरह उन पर हिंसा होनी चाहिए।
मुस्लिम गौ हत्यारे हैं लेकिन कुछ नास्तिक नीच ऐसी जातियां पनपी है भारत में ,जिनकी सरनेम के आधार पर गणना तो हिन्दुओ में होती है लेकिन वे गाय का गोरखधन्दा करते है ,कत्लखाने खोलते है। ऐसी लोंगो को हिंदुत्व से अलग कर देना चाहिए उन्हें हिन्दू कहलाने का हक नही उनका सरनेम छीन लेना चाहिए।क्योंकि अचरा कचरा सब हिन्दू के अंदर गिना जाने लगा।सनातनी हिन्दू बहुत कम बचे है।इसी कारण हिन्दू बद्नाम ह् और मुस्लिम उल्टा आरोप मढ़कर मच निकलते है।
अब संपूर्ण भारत में गाय राष्ट्रमाता घोषित करने ,कत्लखाने बंद कराने, विदेशो में मांस विक्रय पर रोक लगाने,गौचर भूमि मुक्त कराने ,और गौहत्यारो को फांसी इत्यादि मांगो को लेकर हिंसक एवं अहिंसक राष्ट्रव्यापी आंदोलन की जरूरत है।
और हिन्दू ही क्यों ,सिख ,ईसाई,जैन,बौद्ध,मुस्लिम सभी को जीव संवेदना के नाते सहयोग करना चाहिए
सभी लोंगो के पास अचानक जरुरत पड़ने पर गाय डॉक्टर के नंबर,गौसेवकों के नंबर,गौरक्षक संगठनों के नंबर ,होना चाहिए और उनका उपयोग करना चाहिए।गाय से भरा कोई संदिग्ध ट्रक देखने पर तुरंत पीछा करते हुए पुलिस एवं गौरक्षकों को सूचित करना चाहिए।
मासाहार बन्द होना चाहिए हमे जीवन में अधिकाधिक मासाहारियो को शाकाहारी बनने हेतु प्रेरित करने का संकल्प लेना चाहिए।
लाखो प्रकार के खाद्यान्न होने के बाबजूद भी आखिर चंद मांस के टुकड़ों के लिए किसी जीवात्मा को क्यों तड़फाया जाता है।
संवेदना के अतिरिक्त यह सङ्कल्प ले जब भी आंदोलन होगा हम जुस्मे सहभागिता करेंगे।
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आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (17-12-2017) को
जवाब देंहटाएं"लाचार हुआ सारा समाज" (चर्चा अंक-2820)
पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'