जानवर है, पर दुसरी जाती के जानवर के बच्चे को
उस जाती के दरिंदे जानवर से लङ कर बचाया )।
फिर सहलाया गोदी में दुलारा ।
जब खाना मिला तो पहले उसे खिलाया ।
जाती और मजहब के नाम पर जानवरो से भी बदतर बने इंसान कम से कम इस जानवर से कुछ सिख ले.... सुगना फाउंडेशन
प्रिय मित्रों,
आज के समय में सबसे विस्तृत क्षेत्र है, व्यवहार जगत। इस क्षेत्र में तो मनुष्य को अधिकाधिक सावधान तथा संयमित रहना चाहिए। यही वह क्षेत्र है जिसमें मनुष्य के असभ्य व्यवहारी होने की सबसे अधिक सम्भावना रहती है।
आजकल विश्वासघात, दगाबाजी और वचनाघात अर्थात् कुछ कहना, कुछ करना, जो कुछ कहना उसे पूरा न करना एक सामान्य-सा चलन बन गया है। विश्वासघात अथवा वचनघात को पाप के स्थान पर चतुरता मानी जाने लगी है। लोग दूसरे के साथ विश्वासघात कर अपने को होशियार समझने लगे हैं। सोचते हैं कि काम बनाने को लोगों को इसी प्रकार बेवकूफ बनाया जाता है, जबकि अपने दिये वचन का पालन न करना, विश्वास देकर पूरा न करना बहुत ही भयानक पाप है।
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