मंगलवार, जून 2

समय का खेल भी बड़ा निराला है भूख लाई थी शहरों में भूख ले जा रही है।

समय का खेल भी बड़ा निराला है भूख लाई थी शहरों में भूख ले जा रही है वापस गांव की तरफ ..... सवाई सिंह
 
आज 2 जून है और हम सब 2 जून की रोटी की तलाश में इस संसार में इधर से उधर भाग रहे हैं इस पेट की भूख को शांत करने के लिए कहीं नौकरी की तलाश है ताकि हमारा घर चल सके और घर में रहने वाले परिवार के सदस्य 2 जून की रोटी खा सकें और 2 जून की रोटी की तलाश में हमें कब अपने घरों से दूर जाना पड़ा हमें खुद को पता नहीं चला लेकिन इस कोरोना वायरस कारण जो मानव जाति पर जो संकट आया है हम लोगों ने भूख के कारण जिस गांव छोड़ दिया आज उसी भूख के कारण हमें वापस अपने गांव जाने पर मजबूर कर दिया ऐसे हजारों मजदूर भाई है जो वापस अपने गांव के जाने के लिए मजबूर हो गए हैं कहीं कोई पैदल जाने के लिए कोई ट्रेन में धक्के खा रहा है तो कोई बसों में इस समय का पहिया का कोई भरोसा नही कब पलट जाए कोई भरोसा नहीं।

ऊपर वाले से बस इतनी सी दुआ है कि जो यह हालात है वह हालात जल्द ही ठीक हो जाए और हम जैसे और मजदूर भाइयों की स्थिति में वापस को सुधार हो सके ऐसी दया करना ताकि मानव जाति सुकून से जी सकें..... सुगना फाउण्डेशन परिवार

1 टिप्पणी: