गुरुवार, जून 30

एक दर्द भरी चीत्कार चली गर्दन पर कट्टार,



एक दर्द भरी चीत्कार चली गर्दन पर कट्टार,

दिल न दहला मानवता का देख गौमाता पर वार,

जाने क्या हो गया है आज के इस इंसान को,

अपनी क्रूर कट्टार से धोखा दे रहे भगवान को,

हर तरफ हें रक्त रंजित धरती पर सिसकारियां,

भारत माँ चीत्कार रही इंसा की देख हैवानियाँ,

जिस देश में गौमाता को आदर से पूजा जाता है,

आज उसी भूमि पर उनको बेदर्दी से मारा जाता है,

न जाने इंसान में क्यों इतनी दानवता भर गई,

पशुओं से तुलना क्या करे सबकी मानवता मर गई,

मूक बेकसूर पशुओं पर कोई कट्टार चलाये ना

सबको हक़ है जीने का ये बात कोई भुलाये ना,

जियो और जीने दो के सिद्दांत को अपनाये हम,

अहिंसा को अपनाकर गौमाता को बचाए हम.

Thanks,

Abhishek
यू पी (उ.प) में 1 करोड़ लोगो का सुप्पोर्ट चहिये 8 नए स्लॉटर के लाइसेन्स को रद्द करने के लिए! अगर ऐसा न हुआ तो हजारो के हिसाब से ग़ो माता मार दी जाएगी .. उसके लिए सब लोग 0522-3095743 इस नंबर पर मिस कॉल करो इस (मेसेज) मेसेज को प्लीज़ शेर कर दो . ताकि गोउ माता की रक्षा हो जाए . कृपया अपना अपना योगदान दो

जय गौ माता

बुधवार, जून 1

सिगरेट यह बला आई कहां से? क्या है इसके कानून?

सिगरेट कहां स आई ? 
सिगरेट बनाने की मशीन का विकास 1750 से 1800 ईस्वी के बीच हुआ। सिगरेट बनाने की पहली मशीन एक मिनट में लगभग 200 सिगरेट बनाती थी जबकि वर्तमान की मशीन एक मिनट में 9000 सिगरेट बना देती है। कम उत्पादन लागत और सिगरेट के उपयोग के विज्ञापनों ने तंबाकू कंपनियों के लिए इस दौरान मार्केट को मजबूत किया। धूम्रपान से होने वाली बीमारियों को देखते हुए किसी भी तंबाकू कंपनी के खिलाफ पहला केस बीसवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में लगाया गया था।

                         क्या है इसके कानून?

2003 का कानून ( 1 मई 2004 से प्रभावी)


2003 में भारत सरकार ने एक अधिनियम पारित किया था, जिसके तहत ये कहा था-

* कोई भी व्यक्ति सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान नहीं करेगा। इनमें सभागृह, भवनों, रेलवे स्टेशन, पुस्तकालय, अस्पताल, रेस्तरां, कोर्ट, स्कूल, कॉलेज आदि आते हैं।

* सार्वजनिक स्थलों पर भारतीय भाषाओं में बड़े अक्षरों में गैर-धूम्रपान क्षेत्र के बोर्ड लगाए जाएं।

* सिगरेट और तंबाकू उत्पादों का विज्ञापन नहीं किया जाएगा।

* तीस कमरों के होटल या तीस से अधिक लोगों के बैठने की रेस्तराँ में मालिक या मैनेजर ये तय करें कि धूम्रपान व गैर-धूम्रपान क्षेत्र अलग हों। लोगों को गैर-धूम्रपान क्षेत्र में जाने के लिए धूम्रपान वाले इलाके से न गुजरना पड़े।

* तंबाकू एवं अन्य तंबाकू उत्पाद- गुटखा, खैनी, जर्दा, तंबाकू वाले मसाले, बीड़ी, सिगरेट, हुक्का, चुरट, सिगार, नसवार 18 साल से कम के लोगों के लिए प्रतिबंधित है।

* समय-समय पर इन नियमों में सुधार किए जाते रहे हैं। जैसे आजकल सभी सार्वजनिक स्थलों पर धूम्रपान निषेध है। विडंबना यही है कि कानून से अधिक कानून तोड़ने वाले प्रभावी है। जब तक नियमों का सख्ती से पालन नहीं करवाया जाता इस समस्या से मुक्ति असंभव है।