शनिवार, दिसंबर 1

एड्स जागरुकता दिवस...जानकारी ही बचाव है..सुगना फाऊंडेशन

 एड्स क्या‍ है?

एड्स का पूरा नाम ‘एक्वायर्ड इम्यूनो डेफिसिएंशी सिंड्रोम’ है और यह बीमारी एच.आई.वी. वायरस से होती है. यह वायरस मनुष्य की प्रतिरोधी क्षमता को कमज़ोर कर देता है. एड्स एच.आई.वी. पाजी़टिव गर्भवती महिला से उसके बच्चे को, असुरक्षित
 यौन संबंध से या संक्रमित रक्त या संक्रमित सूई के प्रयोग से हो सकता है.

एच.आई.वी. पाजी़टिव होने का मतलब है, एड्स वायरस आपके शरीर में प्रवेश कर गया है. हालांकि इसका अर्थ यह नहीं है कि आपको एड्स है. एच.आई.वी. पाजीटिव होने के 6 महीने से 10 साल के बीच में कभी भी एड्स हो सकता है.



एड्स फैलने के कारण

एचआईवी से संक्रमित व्यक्ति के साथ असुरक्षित संभोग करना इस मर्ज के प्रसार का एक प्रमुख कारण है. ऐसे संबंध समलैंगिक भी हो सकते हैं. 
अन्य कारण हैं:

* ब्लड-ट्रांसफ्यूजन के दौरान शरीर में एच.आई.वी. संक्रमित रक्त के चढ़ाए जाने पर.

* एचआईवी पॉजिटिव व्यक्ति पर इस्तेमाल की गई इंजेक्शन की सुई का इस्तेमाल करने से.

* एचआईवी पॉजिटिव महिला की गर्भावस्था या प्रसव के दौरान या फिर स्तनपान कराने से भी नवजात शिशु को यह मर्ज हो सकता है.
* इसके अलावा रक्त या शरीर के अन्य द्रव्यों जैसे वीर्य के एक दूसरे में मिल जाने से. दूसरे लोगों के ब्लेड, उस्तरा और टूथ ब्रश का इस्तेमाल करने से भी एचआईवी का खतरा रहता है.

एड्स के लक्षण
एड्स होने पर मरीज का वजन अचानक कम होने लगता है और लंबे समय तक बुखार हो सकता है. काफी समय तक डायरिया बना रह सकता है. शरीर में गिल्टियों का बढ़ जाना व जीभ पर भी काफी जख्म आदि हो सकते हैं.



एड्स संबंधित जांचें

* एलीसा टेस्ट
* वेस्टर्न ब्लॉट टेस्ट
* एचआईवी पी-24 ऐंटीजेन (पी.सी.आर.)
* सीडी-4 काउंट


एड्स का उपचार

* एचआईवी संक्रमित लोगों के लिए आशावान होना अत्यंत महत्वपूर्ण है. ऐसे भी लोग हैं जो एचआईवी/एड्स से पीड़ित होने के बावजूद पिछले 10 सालों से जी रहे हैं. अपने डॉक्टरों के निर्देशों पर पूरा अमल करें. दवाओं को सही तरीके से लेते रहना और एक स्वस्थ जीवनचर्या बनाये रखने से आप इस रोग को नियंत्रित कर सकते हैं.
* एच.ए.ए.आर.टी. (हाइली एक्टिव ऐंटी रेट्रो वायरस थेरैपी) एड्स सेंटर पर नि:शुल्क उपलब्ध है. यह एक नया साधारण व सुरक्षित उपचार है.



एड्स को लेकर भ्रम

कई लोग सोचते हैं कि एड्स रोगी के साथ उठने बैठने से यह रोग फैलता है तो यह गलत है. यह बीमारी छुआछूत की नहीं है. इस बीमारी को लेकर समाज में कई भ्रम हैं जिन्हें दूर करना बहुत जरूरी है. जैसे:



एड्स इन सब कारणों से नहीं फैलता:

* घर या ऑफिस में साथ-साथ रहने से.
* हाथ मिलाने से.
* कमोड, फोन या किसी के कपड़े से.
* मच्छर के काटने से.




एड्स एक रोग नहीं बल्कि एक अवस्था है. एड्स का फैलाव छूने, हाथ से हाथ का स्पर्श, साथ-साथ खाने, उठने और बैठने, एक-दूसरे का कपड़ा इस्तेमाल करने से नहीं होता है. एड्स पीड़ित व्यक्ति के साथ नम्र व्यवहार जरुरी है ताकि वह आम आदमी का जीवन जी सके.



कल एड्स का मतलब था जिंदगी का अंत, पर आज इसे एक स्थाई संक्रमण समझा जाता है, जिसे नियंत्रित किया जा सकता है. भविष्य में हो सकता है एड्स का इलाज संभव हो जाए इसलिए इस संदर्भ में होने वाली हर गतिविधि की जानकारी प्राप्त करते रहना हम सभी के लिए जरूरी है. वैवाहिक जीवन की मर्यादा और एक-दूसरे के प्रति विश्वास को बनाए रखना और सावधानी ही इस रोग से बचाव का एकमात्र उपाय है. एड्स की रोकथाम “दुर्घटना से सावधानी बेहतर” की तर्ज पर ही मुमकिन है.


एड्स एक रोग नहीं बल्कि एक अवस्था है. एड्स का फैलाव छूने, हाथ से हाथ का स्पर्श, साथ-साथ खाने, उठने और बैठने, एक-दूसरे का कपड़ा इस्तेमाल करने से नहीं होता है. एड्स पीड़ित व्यक्ति के साथ नम्र व्यवहार जरुरी है ताकि वह आम आदमी का जीवन जी सके.


एड्स पर अन्य जानकारी के लिए पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें!



साभार 

दैनिक जागरण
http://days.jagranjunction.com


5 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    दो दिनों से नेट नहीं चल रहा था। इसलिए कहीं कमेंट करने भी नहीं जा सका। आज नेट की स्पीड ठीक आ गई और रविवार के लिए चर्चा भी शैड्यूल हो गई।
    आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (2-12-2012) के चर्चा मंच-1060 (प्रथा की व्यथा) पर भी होगी!
    सूचनार्थ...!

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    उत्तर
    1. आदरणीय शास्त्री सर प्रणाम
      .
      मेरी पोस्ट "एड्स जागरुकता दिवस...जानकारी ही बचाव है..सुगना फाऊंडेशन" शामिल करने के लिए आभार |
      धन्यवाद ....

      हटाएं
  2. गौर तलब है एड्स कार्यक्रम पर होने वाली खर्ची का बहुलांश विदेशी सहायता पर निर्भर था जो 2014 तक पूरी

    तरह समाप्त हो जायेगी .तब सारी खर्ची National AIDS Control Organization (NACO )को उठानी पड़ेगी जो

    भारत सरकार का उपक्रम है .

    सहज अनुमेय है खैराती अस्पतालों (Public Hospitals )के हत्थे चढ़ने वाले एच आई वी -एड्स पोजिटिव लोगों

    के साथ क्या होने वाला है उन अस्पतालों में जो खुद बीमार हैं जहां आम मरीजों के लिए बिस्तर नहीं हैं .ऊपर से

    चिकित्सा कर्मियों का सौतेला व्यवहार इन मरीजों के प्रति जब तब सुर्ख़ियों में छाया रहता है अखबारों की .

    सवाल यह है क्या एच आई वी पोजिटिव मरीज़ को डायरिया (अतिसार ,पेचिस आदि )होने पर( पब्लिक


    )सरकारी खैराती अस्पतालों में बेड मिल सकेगा .

    क्या पैरा मेडिकल स्टाफ इनकी देखभाल सामान्य मरीजों की तरह ही कर सकेगा ?क्या इनके साथ उपेक्षा भरा

    तिरस्कार पूर्ण व्यवहार नहीं होगा इसका जिम्मा भारत सरकार का स्वास्थ्य महकमा ले सकता है ?

    Moreover ,many AIDS patients need palliative care or pain relief towards the end of life .

    पूछा जाना चाहिए भारत सरकार से क्या हमारे जन -अस्पतालों में Pain Clinics हैं ?

    वर्तमान में ज़ारी एंटी -रेट्रो -वायरल ट्रीटमेंट प्रोग्रेम निर्बाध ज़ारी रह सकेगा उस सरकार के साए में जिसके लिए

    शिक्षा और सेहत बजट के हाशिये पे रहे आयें हैं .



    एड्स जागरुकता दिवस...जानकारी ही बचाव है..सुगना फाऊंडेशन


    * एड्स क्या‍ है?* एड्स का पूरा नाम* ‘एक्वायर्ड इम्यूनो डेफिसिएंशी सिंड्रोम’* है और यह बीमारी एच.आई.वी. वायरस से होती है. यह वायरस मनुष्य की प्रतिरोधी क्षमता को कमज़ोर कर देता है. एड्स एच.आई.वी. पाजी़टिव गर्भवती महिला से उसके बच्चे को, असुरक्षित यौन संबंध से या संक्रमित रक्त या संक्रमित सूई के प्रयोग से हो सकता है. एच.आई.वी. पाजी़टिव होने का मतलब है, एड्स वायरस आपके शरीर में प्रवेश कर गया है. हालांकि इसका अर्थ यह नहीं है कि आपको एड्स है. एच.आई.वी. पाजीटिव होने के 6 महीने से 10 साल के बीच में कभी भी एड्स हो सकता है…

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  3. Virendra Kumar SharmaDecember 2, 2012 11:05 AM
    आभार आपका इस पोस्ट के लिए .

    एड्स एक रोग समूह का नाम है जिसमें एच आई वी -एड्स के लक्षण प्रगट होने पर व्यक्ति आम संक्रमणों से भी अपनी हिफाज़त नहीं कर पाता है .चाहे फिर वह आम सर्दी जुकाम डायरिया हो या तपेदिक फ्ल्यू हो या इन -फ्ल्युएँजा .

    हां संक्रमित महिला से गर्भस्थ को अंतरण रोकने वाली एंटी -रेट्रो -वायरल दवाएं अब उपलब्ध हैं .

    खतरा अब भारत सरकार की कथित नै एड्स नीति के तहत आने वाला है :

    India's soon -to -be -announced fourth HIV/AIDS policy may entail the closure of 350 community care centres where patients get free hospitalization and medication .The govt logic is that public hospitals have gathered enough expertise over the years to treat AIDS patients , but the HIV positive community is not convinced .

    कथित जन अस्पताल आम आदमी की तरह खैराती अस्पताल ही बने हुए हैं .राजधानी दिल्ली की बाड़ा हिन्दू राव अस्पताल / दीन दयाल उपाध्याय या सफ़दर जंग अस्पताल में जाके देखलो .एड्स के प्रति अभी तो डॉ .ही दुराग्रह पाले हें हैं हिकारत की नजरों से देखे जातें हैं एच आई वी एड्स मरीज़ .अभिशापित समझता है पढ़ /अपढ़ समाज इन्हें जबकी एड्स कोई अपने आप में कोई रोग नहीं है रोग समूह है रोग प्रतिरक्षण छीजने पर ही घेरतें हैं आदमी को इसके लक्षण .

    अलबत्ता फिरंगी संस्कृति का रोग है ये एरा गैरा नथ्थू खैरा के साथ बिना सुरक्षा हम बिस्तर होने की सौगात है एच आई वी -एड्स संक्रमण .

    विंडो पीरियड :जब तक खून में एच आई वी विषाणु का लोड एक optimum load तक नहीं पहुंचता है तब तक यह परीक्षणों से पकड़ में नहीं आता है .खून में भले मौजूद रहता है इस दरमियान यह संक्रमित व्यक्ति (जिसे बा -कायदा पोजिटिव घोषित नहीं किया गया है ) औरों को संक्रमित करता रह सकता है अ -सुरक्षित यौन सम्बन्ध बनाके .

    संक्रमित होने और रोग के लक्षण प्रगटित होने की अवधि व्यक्ति के रोग प्रति -रोधी तंत्र पर निर्भर करती है जिनके इम्यून सिस्टम पहले से ही compromised हैं ,नाज़ुक हैं ,जो अपोषित हैं .अल्प /कु -पोषित हैं वह जल्दी इन लक्षणों को प्रदर्शित करते हैं .

    संक्रमित होने पर अच्छी खुराक ,रोग के प्रति सही सकारात्मक नज़रिया तीमारदार का भी मरीज़ का भी,,दवाओं के अभिनव नुस्खे (कोम्बोज़ ) रोग के साथ वैसे ही बने रहने की गारंटी है जैसे मधुमेह के या हृद रोगों के साथ रहती है .

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