शुक्रवार, सितंबर 27

माँ की गोद से नीचे उतरो तो पता चले कि दुनिया कितनी क्रूर और निर्दयी है

     बाप के बने घर से बाहर निकलो तो पता चले कि दुनिया मे कितना संघर्ष करना पड़ता है और माँ की गोद से नीचे उतरो तो पता चले कि दुनिया कितनी क्रूर और निर्दयी है...
#निःशब्द
  
        यह दुनिया बहुत जालिम है और दोस्तों आपको जीवन में संघर्ष तो हमेशा करते ही रहना है तभी आप आगे बढ़ पाएंगे क्योंकि यह दुनिया शरीफ लोगों को तो जीने भी नहीं देती गुलाम बने रहोगे तो जिंदगी को आगे जीने का मौका मिलता रहेगा लेकिन मेरा मानना है कि गुलामों की जिंदगी से जीने से अच्छा है संघर्ष की जीवन जियो...

...✍ और चलते चलते यह दो शब्द जो मेरे दिल के भाव है हमेशा करने का प्रयास करता हूं और आगे भी करता रहूंगा अपनी वाणी इन दो शब्दों के साथ खत्म करता हूं।

छू ना सको "आसमान" 
तो ना सही ....

किसी के "दिल" को छूने का आनन्द भी आसमान छूने से कम नहीं ।


        

मंगलवार, सितंबर 3

मंदी का रोना मत रोइए, यूं कहिए *ईमानदारी* से कमाने में मेहनत ज्यादा करनी पड़ रही है

मंदी है तो, किसने अपना 20 हजार का स्मार्टफोन फोन बेचकर बटन वाला फोन लिया?

मंदी है तो, किसने अपनी बड़ी कार बेचकर छोटी कार खरीद ली?

मंदी है तो किसने अपने बच्चों को महंगे स्कूल से हटाकर सरकारी स्कूल में लगवाया है?

मंदी है तो किसने  होटलोंसे खाना मंगवाना बन्द कर दिया है??

मंदी है किसने मल्टीप्लेक्स में फिल्में देखना बन्द कर दिया है?

मंदी का रोना मत रोइए, यूं कहिए ईमानदारी से कमाने में मेहनत ज्यादा करनी पड़ रही है 👌