माँ उच्चारण मात्र से ही असीम वात्सल्य का सुखद अहसास होता है लेकिन माँ सर्वोपरि है माँ संतान से कभी अपेक्षा नहीं रखती उसके लिए सभी एक समान है बावजूद इसके क्या हमारा कर्तव्य नहीं बनता कि हम माँ का सम्मान करें ओर "मदर्स डे" तो मात्र एक अवसर है श्रद्धा व्यक्त करने का हमे प्रतिदिन उनका सम्मान करना चाहिए.. मैं भी आज मेरी माँ का स्मरण कर रहा हूँ, जो आज हमारे बीच नहीं हैं फिर भी उनकी दी हुई शिक्षा और आदर्श हमें मार्ग दर्शन करती हैं ! "माँ की ममता कौन भुला सकता है, और कौन भुला सकता है वो प्यार, किस तरह बताए माँ के बिना कैसे जी रहए हम" मै और मेरा सम्पूर्ण परिवार श्रद्धा सुमन उन्हें अर्पित करते है आज महत्वपूर्ण दिन "मदर्स डे" के मोके पर देश व दुनिया की समस्त माताओ को "सुगना फाऊंडेशन मेघलासिया जोधपुर" की ओर हार्दिक शुभकामनाएँ.. ***************************** "एक्टिवे लाइफ" "आज का आगरा" ब्लॉग की तरफ से सभी मित्रो और पाठको को "मदर्स डे"की बहुत बहुत शुभकामनाये ! |
---|
आपका स्वागत "एक्टिवे लाइफ" परिवार में..........
Main Home
आपका एक्टिवे लाइफ में स्वागत है
रविवार, मई 8
माँ उच्चारण मात्र से ही असीम वात्सल्य का सुखद अहसास ....
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
अच्छी पोस्ट
जवाब देंहटाएंउन्हें मेरा भी नमन ..... सभी मदर्स डे को शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर शब्दों में उकेरा है आप ने अपनी भावनाओं को|
जवाब देंहटाएंआप के माताजी को नमन|
आपकी पोस्ट पढ़कर लगा की आज आपकी माँ को आपके साथ होना ही चाहिए था...
जवाब देंहटाएंक्या सीरत थी, क्या सूरत थी..
पाँव छुए और बात बनी, अम्मा एक मुहूर्त थी...
happy mothers day...
मातृदिवस की शुभकामनाएँ!
जवाब देंहटाएंमाताजी मेरा भी नमन
जवाब देंहटाएंआपका सभी आपको भी मातृ दिवस की हार्दिक शुभकामनाऐं.
जवाब देंहटाएंऔर बहुत बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे
जवाब देंहटाएंकितना सुंदर ....सभी प्यारी प्यारी ममाओं को हैप्पी मदर्स डे
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भावों के साथ माँ की याद को सजाया है । मातृ दिवस की बधाई । धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंयद्यपि माँ की कमी कोई पूरी नहीं कर सकता फिर भी माँ की स्मृति में भी उनका वात्सल्य छिपा होता है। मदर्स डे पर आपको भी शुभकामनायें!
जवाब देंहटाएंमाताजी को नमन
जवाब देंहटाएंमाँ के ऊपर है सब कुछ
जवाब देंहटाएंमातृदिवस की शुभकामनाएँ!
जवाब देंहटाएंमै बहुत भाग्यशाली हूँ कि मुझे एक साथ कई माँओं का प्यार मिला है
जवाब देंहटाएंआपको भी मातृ दिवस की हार्दिक शुभकामनाऐं.
जवाब देंहटाएंaaj aapke blog ko follow kar liya
जवाब देंहटाएंमातृदिवस की शुभकामनाएँ
जवाब देंहटाएंआपका सभी बहुत बहुत शुक्रिया
जवाब देंहटाएंसभी को मातृ दिवस की हार्दिक शुभकामनाऐं.
जवाब देंहटाएंआपको भी शुभकामनायें!
जवाब देंहटाएंप्रिय बंधुवर सवाई सिंह जी
जवाब देंहटाएंसादर अभिवादन !
निस्संदेह हमे प्रतिदिन मां का सम्मान करना चाहिए …
आपके मंगलमय जीवन के लिए हार्दिक शुभकामनाएं !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
माँ संवेदना है, भावना है, अहसास है
जवाब देंहटाएंमाँ जीवन के फूलों में, खूशबू का वास है
माँ रोते हुए बच्चे का, खुशनुमा पालना है
माँ मरूस्थल में नदी या मीठा-सा झरना है
माँ लोरी है, गीत है, प्यारी-सी थाप है
माँ पूजा की थाली है, मंत्रो का जाप है
माँ आँखो का सिसकता हुआ किनारा है
माँ ममता की धारा है, गालों पर पप्पी है,
माँ बच्चों के लिए जादू की झप्पी है
माँ झुलसते दिनों में, कोयल की बोली है
माँ मेंहँदी है, कुंकम है, सिंदूर है, रोली है
माँ त्याग है, तपस्या है, सेवा है
माँ फूंक से ठंडा किया कलेवा है
माँ कलम है, दवात है, स्याही है
माँ परमात्मा की स्वयं एक गवाही है
माँ अनुष्ठान है, साधना है, जीवन का हवन है
माँ जिंदगी के मोहल्ले में आत्मा का भवन है
माँ चूड़ीवाले हाथों के, मजबूत कंधो का नाम है
माँ काशी है, काबा है, और चारों धाम है|
" माँ": एक अहसास : एक पूर्णता !
जवाब देंहटाएंयह समझने की नितांत आवश्यकता है कि आखिर यह "माँ" है क्या ?
माँ है जननी,माँ है पालिनी,माँ है दुलारिनी.माँ क्या नहीं है! माँ तो संतान की छाया है,माँ तो संतान की तस्वीर है,तकदीर है,तज़बीज़ है......
ज़रा सोचिये, माँ नहीं तो हम कहाँ ? हम नहीं तो हमारा "अहम्" कहाँ ? अरे इसी अहम् के लिए तो जीते हैं हम !
यह नक्की मान लें कि माँ का एक-एक अंश हमारे में है.क्या-क्या अलग कर सकते हैं हम ? सच्ची बात तो यही है कि कुछ भी नहीं...... "गीले में सोने और सूखे में सुलाने" की बातें तो पुरानी हो गयी है ना ! पर क्या ऐसी बातों को बदल सकते हैं हम ?
अरे किसी मादा पशु के भी, अगर हम उसके जन्म लेते बच्चे के समय, पास से फटक जाएँ तो वह "दिन में तारे" दिखा देती है. भला क्यों ?वह तो मूक पशु मात्र ही तो है ! परन्तु हम भूल रहे हैं कि वह "माँ" है !!!!
पुरानी कहावत है कि माँ का एक रात का भी क़र्ज़ नहीं चुका सकते हैं हम.पर कोई माँ क़र्ज़ चुकाने का कहती भी है क्या ? अरे सिर्फ वह तो " फ़र्ज़ ही तो याद दिलाती है ना !!
कहाँ हक की लड़ाई लड़ रहे हैं हम ! कर्तव्य की बातें तो हमें सुहाती ही नहीं !!!!
आएये माँ की रक्षा का संकल्प करें.बदले में दुलार ही दुलार,आशीर्वाद ही आशीर्वाद ,प्यार ही प्यार ,पोषण ही पोषण..........