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सोमवार, मार्च 7

गौ ह्त्या के चंद कारण और हमारे जीवन में भूमिका

 
  आदरणीय, सज्जनों, जैसा कि हम सभी जानते हैं भारत में गाय माता की महिमा तो अपार है जिसका उलेख शास्त्रों और पुराणों में वर्णित है संत महात्माओ ने गो माता की महिमा के सम्बन्ध में अनेको व्याख्यान दिए है ! लेकिन आज भारत के अनेक राज्यों में कसाईखाने चल रहे है इसके पीछे कारण साफ़ है दरअसल जिस तेजी के साथ भारत गो-मांस का निर्यात कर रहा है, उसे देख कर अनेक देश यह अंदाज़ा लगा रहे है, कि अब भारत अहिंसक-भारत नहीं रहा,यह नैतिकता, करुणा, अहिंसा, मानवता, जीवन-मूल्य इन सबकी रोज ही तो हत्याएं होती रहती है. गाय को जो देश में गो माता कहते है जहाँ के भगवन(श्री कृष्ण) गायों के दीवाने थे, वह देश आज दुनिया का सबसे बड़ा माँस-निर्यातक बना बैठा है वास्तव में जो लोग गो मांस खाने वाले है या गो मांस खाते है वे अपने माता और पिता (गाय और बैल) को मार रहे हैं और वो पापी है इसलिए भगवन उनको उनके पाप की सजा जजुर देगा और दंड होना भी चाहिए ताकि कोई और गो माता की ह्त्या न कर सके!                                                                           
            एक बात और लोग पशु पर अत्याचार इस लिए क्रूरता मांस, कपड़े और सामान सहित विभिन्न प्रस्तुतियों के लिए उनकी हत्या की मांस से अधिक मूल्य अक्सर, उनके चमड़े के द्वारा उत्पादों  का निरमा होता है और असंख्य कॉस्मेटिक और घरेलू उत्पादों के लिए किया जाता है. अनिहे जानवरों को भी बेरहमी से अत्याचार और अंत में मारे गए प्रयोगों और अनुसंधान के लिए. पशु की ऐसी पीड़ा के लिए कोन जिमेदार है कही हम तो नहीं   

     ऐसी कंपनियों जिनके उत्पाद गो की हत्या या जानवरों के चमड़े के द्वारा बनाई गई है 
जैसे :- सौंदर्य प्रसाधन, शौचालय की तैयारियाँ और भी डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों और भी उत्पादों को इस में आप शामिल कर सकते हो जो कंपनियों अपना अच्छा विश्वास बना चुकी है और वे चंद लाभ के लिए ऐसा करती है!   


हमें भी एक संकल्प लेना पडेगा की अपने स्तर पे जहाँ तक संभव हो!
गौ हत्या या जानवरों के चमड़े के द्वारा बनाई  गई वस्तुओ का परियोग हम नहीं करेगे ! और गो माता को सम्मान देंग! 
आप नीचे एक पोस्टर देख सकते है जिस में गो हत्या से बनाई गई वस्तुऐ है! जिनका परियोग अब हमें नहीं करना है !
आप  संकल्प लेते हो ना...................सोचो नहीं .....



गाय को माता दिल से मानिए 


          गाय माता की भूमिका हमारे जीवन में                        <--------------------------------------------->
                                                        
गो माता में देवता का निवाश है देखा है ना सच है ना 
                                                        
 धार्मिक अनुष्ठानों में गाय माता की महत्ता:- 
 
  1 गाय को दैविक माना गया है !

 

  2 अगर दिन गाय की पूजा से शुरू होता है !

  3 गाय को खिलाना और उसकी पूजा करना दैविक अनुष्ठान है !

  4 पारिवारिक उत्सवों में गाय की प्रधानता है !

  5 ऐसे अनेक त्योहार हैं जहाँ गाय प्रमुख होती है !

  6
देवताओं के शृंगार में मक्खन का प्रयोग होता है !

  7 पंचगव्य से सफाई और शुद्धि की हमारी परंपरा है !

  8 भगवान की मूर्तियों को दूध, दही और घी से स्नान कराते हैं !

  9 
भगवान के प्रसाद में घी और दूध डाला जाता है !

  10
पवित्र प्रदीप प्रज्जवलन हेतु हम घी का प्रयोग करते हैं और देवताओं को भी घी का नैवेद्य चढ़ाते हैं !
 

औषधि रूप में गो उत्पाद:-
        िश्व स्वास्थ्य संगठन स्वास्थ्य को शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक और सामाजिक पूर्णता का सम्मिश्रण मानता है । उसका यह भी अनुमान है कि  2020 तक जीवाणु (बैक्टीरिया) एंटीबायोटिक्स के प्रभाव से मुक्त हो जायेंगे । पर हमें इसका भय नहीं है । हम पंचगव्य दूध, दही, घी, गोमूत्र और गोबर पर भरोसा कर सकते हैं । यह सब अलग-अलग और एक सम्मिश्रण के रूप में श्रेष्ठ औषधीय गुण रखते हैं, वह भी बिना किसी परावर्ती दुष्प्रभाव (साइड एफेक्ट) के । इसके अतिरिक्त यदि हम कोई अन्य औषधि ले रहे हैं तो पंचगव्य एक रासायनिक उत्प्रेरक (कैटलिस्ट) का काम करता है! प्रचीन आयुर्वेद शास्त्र बताते हैं कि गोमूत्र सेव्न से रोग प्रतिरोधक क्षमता 104  % तक बढ़ जाती है!
 

गो आधारित कृषि के लाभ :-  


             भारतीय कृषि में विविधता है! ऐसा कोई कृषि उत्पाद नहीं है जो हम नहीं उगाते ! हमारी भूमि पर हर प्रकार के अन्न, दालें, सब्जियाँ, फल, कपास और रेशम पैदा होते हैं । हमारी 60% से अधिक आबादी का पेशा 
खेती है ।  इनमें से अधिकांश का एक या दो एकड़ भूमि वाले छोटे किसान हैं !
              हमारी कृषि भूमि भू-संरचना, मिट्टी के प्रकार और गुणों, सिंचाई के तरिकों और फसलों की संख्या के मामले में विविध और जीवंत है ! मवेशी इस विशाल कृषि चित्र-पटल के अभिन्न अंग हैं ! हम बैलों का जुताई, कटी फसल की ढुलाई, सिंचाई के कामों में, गोबर का खाद के और गोमूत्र का कीट नाशक के रूप में उपयोग करते हैं ।


परिवहन में पशुओं की भूमिका:- 


             भारत के 6 लाख गांवों में से बहुतों में यातायात योग्य डामरवाली सड़कें नहीं हैं! पहाड़ी क्षेत्रों में जहाँ घोड़े कदम नहीं रख सकते, बैल आसानी से गाड़ियाँ खींच सकते हैं !


गो माता पर आधारित और भी कई लाभ है !

     जैसे :-  पारिसारिक, आहार, उद्यम, युद्ध क्षेत्र, भावनात्मक स्थर,अर्थ व्यवस्था और भी कई लाभ है !

 ये दो लाइन किसी के द्वारा भेजी गई है!

      "ये कभी मत सोचो की ईश्वर हमारी दुआएँ तुरंत नहीं सुनता....
   ये शुक्रिया करो की वो हमारी गुनाहों की सजा उसी समय तो नहीं देता हमें"


और अंत में एक अपील {{निवेदन}}:-  
             विश्व शांतिपूर्ण के लिए गो माता की हत्या और जानवरों की  हत्या बंद करो और एक शाकाहारी बन जाओ!


 
 आभार 
गौ ग्राम                                                                             
                                                                       निवेदन करने वाले 
                                                    !! आप और हम!! 

समय मिले "गौ माता की करूँ पुकार सुनिए...." और जरूर देखें
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सवाई सिंह को ब्लॉग श्री का खिताब मिला साहित्य शारदा मंच (उतराखंड से )