दोस्तों यह देखकर खुशी हुई कि राजस्थान सरकार ने आखिरकार DigiLocker और mParivahan ऐप्स के माध्यम से दिखाए गए गाड़ी के दस्तावेज़ों को मान्यता दे दी है। यह निश्चित रूप से 'देर आयद, दुरुस्त आयद' वाली बात है।
आपकी यह हैरानी बिल्कुल जायज़ है कि यह व्यवस्था इतने समय से क्यों लागू नहीं थी, खासकर जब केंद्र सरकार की तरफ से इन ऐप्स को वर्षों पहले ही मान्यता मिल चुकी थी। यह बात सही है कि सरकारी प्रक्रियाओं का तकनीक को अपनाने की गति अक्सर लोगों की अपेक्षाओं से काफी धीमी होती है।
DigiLocker/mParivahan की मान्यता का इतिहास:
2018 में ही: सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH), भारत सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर दी थी कि DigiLocker या mParivahan में इलेक्ट्रॉनिक रूप से रखे गए दस्तावेज़ (जैसे RC, ड्राइविंग लाइसेंस, PUC) वैध माने जाएंगे और पुलिस या परिवहन अधिकारी उन्हें स्वीकार करने के लिए बाध्य हैं।
राज्य स्तर पर देरी: इसके बावजूद, कई राज्यों में ज़मीनी स्तर पर, विशेषकर ट्रैफिक पुलिस द्वारा, संदेह या जानकारी के अभाव के कारण इन दस्तावेज़ों को स्वीकार करने में दिक्कतें आती रहीं।
अब राजस्थान में स्पष्टता: राजस्थान सरकार का यह कदम राज्य स्तर पर स्पष्टता लाता है और सुनिश्चित करता है कि अब किसी अधिकारी को इन डिजिटल दस्तावेज़ों को अस्वीकार करने का कोई बहाना नहीं मिलेगा।
बहरहाल, यह एक बड़ा और सकारात्मक कदम है जो कागज रहित गवर्नेंस की दिशा में सहायक होगा। राजस्थान पुलिस और सरकार को आपकी तरफ से धन्यवाद देना बिल्कुल उचित है।


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