सर्वप्रथम तो आप सभी को बुद्धि, बल, भक्ति, विवेक एवं ज्ञान के भंडार भक्त शिरोमणि हनुमान जी महाराज के मंगलमय पावन प्राकट्य उत्सव की कोटि - कोटि शुभकामनाएं एवं मंगल बधाइयाँ । हनुमान जी महाराज आपके सभी कष्टों को दूर करें ऐसी प्रार्थना प्रभु से करता हूं मैं जब भी संकट में होता हूं या फिर जब भी परेशान होता हूं तो मैं सिर्फ हनुमान जी के भजन को सुनना या हनुमान चालीसा सुनना ज्यादा और मुझे काफी सुकून मिलता है यह बात मेरे साथ में भी बहुत लोग जानते हैं कि मैं परेशान होता हूं तो हनुमान चालीसा ही सुनता हूं जब कभी आपको परेशानी है कुछ भी सीन हो तो आप भगवान जी को याद करें और अपने दिन की शुरुआत करें आज बहुत ही अच्छा दिन है आज मेरे प्रभु का जन्म दिवस है और जो कुछ मैं करता हूं वह उन्हीं की कृपा दृष्टि के कारण ही संभव है और मैं भगवान जी के बस यही प्रार्थना करता हूं कि मेरे हाथों से कभी कुछ गलत ना हो जिसके लिए मुझे अफसोस करना पड़े जिस ईमानदारी के साथ मैं अपना काम कर रहा हूं उसी लगन के साथ में आगे भी करता रहूंगा ।
प्रभु श्रीराम के प्रिय भक्त श्री हनुमान जी का जीवन हमें सीख देता है कि मनुष्य को सदा कृतज्ञ भाव से पर सेवा और परमार्थ में निरत रहना चाहिए। और दूसरों की संकट की घड़ी में आप संकट निवारक बन सको इससे श्रेष्ठ जीवन की उपलब्धि और क्या हो सकती है। आपको भी किसी की मदद करने का मौका मिले तो कभी पीछे मत ना हटे क्योंकि भगवान ने आपको चुना है इस कार्य के लिए वरना दुनिया में ऐसा कोई कार्य है जिसे भगवान स्वयं ना कर सके। जब कोई मुझसे सहायता मांगता है मैं बिल्कुल हर संभव मदद करने का प्रयास करता हूं। बस सामने वाले की नियति सही हो तो
महावीर विक्रम बजरंगी कुमति निवार सुमति के संगी।
जो दूसरों को जीते वो वीर और जो स्वयं को भी जीत जाए उसे महावीर कहते हैं। इससे यह बात सिद्ध हो जाती है कि दुनिया को जीतने की अपेक्षा स्वयं को जीतना अति कठिन है।
जो संकट मोचक है अर्थात संकट के समय दूसरों के लिए सहायक, जो महावीर है अर्थात दूसरों के साथ - साथ स्वयं के ऊपर भी जिसका नियंत्रण है और जो कुमति का निवारण कर सुमति प्रदान करने वाला अर्थात् कुबुद्धि -कुसंग का नाश कर सुबुद्धि - सत्संग प्रदान करने वाला है। यही तो श्री हनुमानजी महाराज के जीवन की प्रमुख सीख है। जिसे हम सब को अपने जीवन में उतारने चाहिए
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