इसका सही उत्तर है कि हमारी निमंत्रण की पुरातन परंपरा का पालन करना ही ज्यादा उचित होगा। हम विवाह की निमंत्रण पत्रिका के साथ जो पीले चावल (अक्षत) देते हैं उन्हे अग्नि के फेरे लेते समय दूल्हा-दुल्हन पर शुभकामना/ आशिर्वाद/ अभिनंदन के रूप में डालने चाहिए। किन्तु आजकल यह प्रथा किसी को पता ना होने के कारण कोई ऐसा करता नही हैं। विवाह मंडप में अक्षत रखना उसकी एक व्यवस्था मात्र है।
इस परंपरानुसार इन अक्षत का मुख्य उद्देश्य आपको अयोध्या आने का निमंत्रण देना ही है। अब 22 जनवरी को सभी आमंत्रित लोग अयोध्या आनेवाले नही है । इसलिए भविष्य में जब कभी जाना हो तब इन अक्षतों को साथ लेकर जाना और प्रभु श्री रामजी की मूर्ति पर चढ़ाना। तब तक इन्हें संभालकर रखना। इसके लिए आपके घर के मंदिर से योग्य और कोई स्थान नही है। वहा रखतें समय " हम सभी जल्दी ही सपरिवार मोक्षभुमि अयोध्या में प्रभू श्रीरामजी के दर्शन के लिए निश्चित ही आएंगे " ऐसा संकल्प करके रखें।
जो ऐसा नहीं कर सकते वह क्या कर सकते हैं? प्रथम - यह अक्षत अभिमंत्रित होने से अपने पुजा घर में स्थायी रूप से रख कर प्रभू श्री राम की अयोध्या से आई हुई निशानी/प्रतीक के रूप नित्य पूजन कर सकते हैं।
जिन्हें ऐसा भी नही जमता है वह क्या कर सकते हैं ? - उन्होंने २२जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा के समय घर के अथवा नज़दीक के किसी भी मंदिर में किसी भी भगवान की मूर्ति पर चढ़ाना जिससे वह फिर से अपने मूल ईश्वरीय रूप में विलीन हो जाएंगे।
। जय श्री राम ।