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रविवार, मई 22

ट्रैफिक पुलिस वाले ने अपनी इंसानियत का परिचय जरूर दिया

हेलो मेरे प्यारे पाठको और प्यारे दोस्तों आप सब कैसे हैं आशा करता हूं आप सभी अच्छे होंगे आज की जो तस्वीर मैं आपके साथ साझा करने जा रहा हूं वह एक ट्रैफिक पुलिस वाले की जिन्होंने इंसानियत का परिचय दिया है कई बार हमारे आसपास में ऐसी घटनाएं होती है जिससे हम सब को प्रेरणा लेनी चाहिए होती है पर हमें भी कुछ ऐसा करने का प्रयास करना चाहिए इस पोस्ट को करने का एकमात्र उद्देश्य मेरा यही है कि कोई एक तो इससे प्रेरणा जरूर लेगा।

जल रही है जमीं जरा अपना खयाल रख।

 जूते है मेरे पास,आ तू मेरे पांव पर पांव रख।

तस्वीर पता नहीं कहां की है, लेकिन इस ट्रैफिक पुलिस रंजीत सिंह ने अपनी इंसानियत का परिचय जरूर दे दिया, ये गरीब बच्चे भरी दोपहरी में नंगे पांव थे और सड़क पार नहीं कर पा रहे थे,जब तक सड़क खाली नहीं हुई, तब तक इस पुलिस वाले ने उनके नंगे पैरों को अपने जुत्तो पर खड़े रखा, और बाद में इनको चप्पल भी दिलवाई ! सोशल मीडिया पर इस ट्रैफिक अधिकारी को खूब वाह वाही मिल रही है ! सच में सैल्यूट रंजीत सिंह सर

क्या लिखा इन्होंने अपनी सोशल मीडिया पर

ट्रैफ़िक पुलिस के इस सिपाही का नाम रंजीत सिंह है। 2 बच्चे रोड क्रॉस कर रहे थे सिग्नल बंद था बच्चे के पाँव जल रहे थे। बच्चे ने कहा- सर पाँव जल रहे हैं, रोड क्रॉस करवा दो, रंजीत ने कहा- जब तक ट्रैफ़िक रुकता नहीं मेरे पैर पर पैर रख लो” 

सिपाही रंजीत सिंह ने अपने फ़ेसबुक पर लिखा है- जैसे ही उस बच्चे ने मेरे पैरों पर पाँव रखा, मुझे ऐसा लगा जैसे भगवान ने मेरे ऊपर पाँव रख दिए। मैंने चप्पल ख़रीद के दे तो दीं पर आज का ये अहसास ज़िंदगी भर याद रहेगा..!

प्रिय पाठकों मैं चाहता हूं आप इस इंसानियत को पहचाने 

“अपने आसपास घट रही छोटी-छोटी घटनाओं से प्रेरणा व सकारात्मकता की उर्जा फैलाए और समाज और लोगों के बीच एक प्रेरणादायक संदेश आप पहुंचाने का प्रयास करें ।

शनिवार, अप्रैल 23

रिश्ते By एस एम सीरीज 3

आज कल हम रिश्ते इतने जल्दी बना लेते हैं कि बाद में हमें पछताना पड़ता है सिर्फ अपनों के होने से कुछ नहीं होता बल्कि उन अपनों में अपनेपन का एहसास भी होना बहुत जरूरी है आजकल हम लोग रिश्ते इस तरीके से बनाते हैं जब तक काम हो उनका उसके बाद वह आपको छोड़ कर चले जाते हैं जीवन में अधिकतम हमने ऐसा ही देखा है शायद ऐसा मेरे साथ हुआ है ओर शायद आपके साथ भी हुआ होगा। हम लोग जिंदगी में सिर्फ एक ही गलती करते हैं और वह है भरोसा हम सस्ते लोगों पर भरोसा कर बैठते हैं जिस प्रकार हम कपड़े ब्रांडेड पहनते हैं ना उसी प्रकार रिश्ते भी ब्रांडेड ही बनाई है उनकी टिकने की गुंजाइश ज्यादा होगी।

"चाहना आसान है पर चाहते रहना कठिन है।"


अकेलेपन का डर उसी को होगा जो कभी अकेला नहीं रहा होगा जनाब उनको हम बता देना चाहते हैं कि मेरी एक चौथाई जिंदगी अकेलेपन में ही निकल गए अब तो हमें किसी के साथ से डर लगता है अकेलेपन से नहीं। मेरा मानना है कि रोज-रोज किसी चीज के लिए अपने आपको परेशान करने से अच्छा है कुछ दिन उस चीज के लिए परेशान हो जाए ताकि बाद में हम उसे भूल सके हमारी जिंदगी में कई बार ऐसे मौके आते हैं जब हमारे प्रिय हमें छोड़ कर चले जाते हैं और हम उनका शौक बनाते हैं हालांकि ऐसा करना थोड़ा कठिन जरूर होता है पर नामुमकिन नहीं आप ट्राई करिए ऐसा जरूर कर पाएंगे आज के लिए इतना ही फिर मिलता हूं रिश्ते की अगली कड़ी के साथ... 

और चलते चलते आज का अनमोल विचार 

अपनी दो ही चीजें है,  एक ईश्वर,  दूसरा हमारा कर्म !!

अगर विश्वास नहीं है तो आजमा के देख लो !

आपका सवाई सिंह राजपुरोहित एस.एम सीरीज 3 से


बुधवार, अप्रैल 20

हीरों मेघवाल बाड़मेर आप जैसी बेटियों पर हमें गर्व है

 बाड़मेर के रावतसर गांव की एक प्रतिभा की संघर्ष भरी कहानी..

बचपन में पिता का साया उठ गया मां ने भी साथ छोड़ा दादा ने साथ दिया तो हीरों मेघवाल बन गई शिक्षिका। रीट में प्रदेश में एससी वर्ग में 134 वां स्थान हासिल कर लिया।

दोस्तों घर के हालात अपनी आँखों से देखा पर बेटी रुकी नहीं और हालातों से झुकी नहीं.. ग़रीबी तो दुश्मन थी ही बचपन मे माता व पिता दोनों ही इस दुनिया से चल बसे😞 पर बेटी ने हार नहीं मानी.. आखिर पहुंच गयी मुकाम पर और बन गईं अध्यापिका. छु लिया आसमान शाबाश बेटा।

दादा दादी ने पशुपालन करके पढ़ाया इस बेटी को बताते हैं 12वीं क्लास तक घर में रोशनी के नाम पर कुछ नहीं था बिटिया भी इसका श्रेय अपने दादा दादी को देती है टीम सुगना फाउंडेशन की ओर से बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएं प्यारी बिटिया को... 

किसी ने ठीक ही कहा है जरूरी नहीं घर चिराग़ों से ही रोशन हो, 

मैंने शिक्षा से भी घरों को रोशन होते देखा है

अपने बच्चों को शिक्षा की ओर लें जाओ ...


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सवाई सिंह को ब्लॉग श्री का खिताब मिला साहित्य शारदा मंच (उतराखंड से )